ए - जिंदगी तू मौत के समंदर में "ध्रुवतारा" दिखा मैं चल रहा हूं बीहड़ों में नौका लिए..! तू "उत्तर"का किनारा दिखा,हमदर्द मिले हैं साथी राहों में, कोई नया हमारे बराबर "अपना" पुराना दिखा, ना मिले तो सर्दी आ रही है समझ लो, रात काली लंबी है, पुरानी हैवानियत -ए- दहशत आने वाली है,जल्लाद भेड़िए, पता नहीं क्या-क्या अपने साथ लाने वाली है..! ©Ditikraj"दुष्यंत"...! ए - जिंदगी तू मौत के समंदर में "ध्रुवतारा" दिखा मैं चल रहा हूं बीहड़ों में नौका लिए..! तू "उत्तर"का किनारा दिखा,हमदर्द मिले हैं साथी राहों में, कोई नया हमारे बराबर "अपना" पुराना दिखा,