लम्हों की कोख के भीतर प्रतिदिन गहरा उतरता जाता हूँ आतिशबाजी यादों की चलती है नयनों को नहलाता हूँ.. किसी एक दिन के मोहताज नहीं मेरे मन के दीप प्रिये तुम्हारी प्रेम लौ से मैं नित ही जगमगाता हूँ.. इक उड़ता जुगनू हो जाता हूँ दिवाली मैं रोज मनाता हूँ!! ©KaushalAlmora यादें तुम्हारी मेरी दिवाली... #दीवाली #अल्मोड़ा #almora #रोज #poetry #life #lovequotes #love