बहुत खूबसूरत तो नहीं है वो शख्स; जो नजर आ रहा है आईने में मुझे; यूँ तो आईने के भीतर से; पहले भी कई बार; देखा है उसने मुझे; पर आज वो मुझमें; और मैं उसमें; कुछ नया सा ढूंढ रहा हूँ शायद; वही साँवला सा चेहरा; खड़ी नाक; हर वक़्त कुछ बोलती हुई; वो गहरी सी आँखें; सब वैसा ही तो हैं; और कुछ खास तो नहीं; हाँ पर अब निहारने लगा हूँ खुद को; पता नहीं क्यूँ शायद; तुम्हारे प्यार का असर है मुझपर; कि अब बिखरी हुई जुल्फें सिमटने लगी हैं; सिमटी हुई खुशियाँ छलकने लगी हैं; मैं अपने चेहरे से अब प्यार करने लगा हूँ; जिस दर्पण से टूटा सा रिश्ता था मेरा; उसी आईने में मैं खोकर सँवरने लगा हूँ.......!! 30.10.1995 #पुरानी_डायरी #yqbaba #yqdidi #lovegraphy