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ख़्वाबों की खेती करनी हो गर नींद को आँखों की गहराई

ख़्वाबों की खेती करनी हो गर नींद को आँखों की गहराई में बोने दो,
दीया जलाना हो इश्क़ का  गर शाम को और हसीन होने दो।
आशिक़ी की लहरों पर उतार दी हमनें दिल की कश्ती फिर से,
तुम्हारे अंदर जाग कर देखूँगा दुनिया तुम मुझकों ख़ुद में सोने दो।
 🎀 Challenge-274 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।
ख़्वाबों की खेती करनी हो गर नींद को आँखों की गहराई में बोने दो,
दीया जलाना हो इश्क़ का  गर शाम को और हसीन होने दो।
आशिक़ी की लहरों पर उतार दी हमनें दिल की कश्ती फिर से,
तुम्हारे अंदर जाग कर देखूँगा दुनिया तुम मुझकों ख़ुद में सोने दो।
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