न आह करा न वह करा शबाब का फिर तुमने क्या करा न इधर पड़ा न उधर पड़ा रोशनी में अंधेरा दिखता नहीं फिर तू किधर है खड़ा चाय गर्म थी पापड़ कड़क क्यों काबू में है तू थोड़ा तो भड़क कहां गाई कन्याकुमारी की सड़क बीन पुल के कैसे नदी जाऊं में तड़क सांझ की धूप बेहद खड़क लंबी उतनी की कहीं डाल पर जाऊ न लटक चुंदड़ी मेरी कहां है चटक क्यों आंखो में रही है खटक न राम करा न रहीम करा सबसे पहले बांह करा न आह करा न वाह करा मटकी में तुमने शाह भरा तुम ढूंढो देखो कुछ तो है पड़ा इस पर कुछ तो है मढ़ा चादर अपने आप कैसे कढ़ा कल का बच्चा हमसे आगे बढ़ा न आह करा न वाह करा रो गा कर सब वही पड़ा। ©rashmi98 #Nojoto2liner #nojotohindiurdu #nojotoenglish #nojotohindipoetry #nojotohindi #NojotoEnglishPoetry #AugustCreator #NojotPoetry