Nojoto: Largest Storytelling Platform

अज्ञेय जी की रचना मुझ में यह सामर्थ्य नहीं है मै

अज्ञेय जी की रचना


मुझ में यह सामर्थ्य नहीं है मैं कविता कर पाऊँ,
अपनी कूँची से रंगों का ही स्वर्ण-वितान बनाऊँ 
साधन इतने नहीं कि पत्थर के प्रसाद खड़े कर-
तेरा,अपना और प्यार का नाम अमर कर जाऊँ।

©AbhiJaunpur
  #lovebirds  #अज्ञेय_जी_की_क़लम_से #‌AbhiJaunpur