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ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:। नवरात्र का आरं

ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।

नवरात्र का आरंभ आज से हो चुका है-नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और कलश स्थापना की जाती है। पुराणों में कलश को भगवान गणेश का स्वरूप माना गया है !

ऐसा है मां का स्वरूप:- मां के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है। यह नंदी नामक बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं। इसलिए इनको वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है। यह वृषभ वाहन शिवा का ही स्वरूप है। घोर तपस्या करने वाली शैलपुत्री समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक भी हैं। शैलपुत्री के अधीन वे समस्त भक्तगण आते हैं, जो योग, साधना-तप और अनुष्ठान के लिए पर्वतराज हिमालय की शरण लेते हैं।

मां शैलपुत्री के पूजा मंत्र:
 वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्॥
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥

प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम् ।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम् ॥

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।

नवरात्र का आरंभ आज से हो चुका है-नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और कलश स्थापना की जाती है। पुराणों में कलश को भगवान गणेश का स्वरूप माना गया है !

ऐसा है मां का स्वरूप:- मां के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है। यह नंदी नामक बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं। इसलिए इनको वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है। यह वृषभ वाहन शिवा का ही स्वरूप है। घोर तपस्या करने वाली शैलपुत्री समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक भी हैं। शैलपुत्री के अधीन वे समस्त भक्तगण आते हैं, जो योग, साधना-तप और अनुष्ठान के लिए पर्वतराज हिमालय की शरण लेते हैं।

मां शैलपुत्री के पूजा मंत्र:
 वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।
ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।

नवरात्र का आरंभ आज से हो चुका है-नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और कलश स्थापना की जाती है। पुराणों में कलश को भगवान गणेश का स्वरूप माना गया है !

ऐसा है मां का स्वरूप:- मां के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है। यह नंदी नामक बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं। इसलिए इनको वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है। यह वृषभ वाहन शिवा का ही स्वरूप है। घोर तपस्या करने वाली शैलपुत्री समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक भी हैं। शैलपुत्री के अधीन वे समस्त भक्तगण आते हैं, जो योग, साधना-तप और अनुष्ठान के लिए पर्वतराज हिमालय की शरण लेते हैं।

मां शैलपुत्री के पूजा मंत्र:
 वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्॥
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥

प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम् ।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम् ॥

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।

नवरात्र का आरंभ आज से हो चुका है-नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और कलश स्थापना की जाती है। पुराणों में कलश को भगवान गणेश का स्वरूप माना गया है !

ऐसा है मां का स्वरूप:- मां के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है। यह नंदी नामक बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं। इसलिए इनको वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है। यह वृषभ वाहन शिवा का ही स्वरूप है। घोर तपस्या करने वाली शैलपुत्री समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक भी हैं। शैलपुत्री के अधीन वे समस्त भक्तगण आते हैं, जो योग, साधना-तप और अनुष्ठान के लिए पर्वतराज हिमालय की शरण लेते हैं।

मां शैलपुत्री के पूजा मंत्र:
 वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।