आज़ाद कराने देश को अपने जो भूले सुख की राहों को जब होना था मां का आंचल तब जकड़ा मौत की बाहों को खुश होने का ये वक्त नहीं ये तख्त पलटना होगा जो कतरा कतरा काटे देश को उसको कतरा करना होगा ये यौवन की ज्वाला के अंदर रौद्र रूप भरना होगा घर की फसाद को काट हमें फिर से स्वतंत्र करना होगा (स्वतन्त्र भारत ) स्वतंत्र भारत