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White मिट्टी की एक चुप सी पुकार, धूल भरी राहों का

White मिट्टी की एक चुप सी पुकार,
धूल भरी राहों का इन्तजार।
सदियों से सोई, पर जागी है आज,
जाने किस बात का है इसे ऐतबार।चुभती है इसे अब हल की धार,
फसलें उगाता पर खुद ही बेकार।
हर कण में बसता है जीवन,
पर मिट्टी में क्यों रह गई है हार?राहें बनीं, इमारतें उठीं,
फिर भी खो गई है इसकी खुशबू कहीं।
वो पुराने पेड़, वो कच्चे घरौंदे,
अब यादें ही हैं, मिट्टी की नसें सूख गईं।मिट्टी कहती है—
"मैंने तुम्हें जीवन दिया,
तुमने मुझसे क्या लिया?
रिश्ता था सच्चा, गहरा और प्राचीन,
अब क्यों हूँ मैं बंजर, क्यों हूँ मैं ग़मगीन?"कसक है इस दिल में,
कि फिर से जुड़ जाओ मुझसे।
मैं हूँ तुम्हारी जड़,
तुम्हारा आधार, तुम्हारा असल।वापस आओ,
इस मिट्टी की गोद में।
कि जहाँ से शुरू हुए थे,
वहीं पाएंगे सुकून के पल।

©aditi the writer
  #Sad_Status  account deactivated  Kumar Shaurya  आगाज़  @it's_ficklymoonlight  vineetapanchal