पंख ही काफ़ी नहीं हैं आसमानों के लिए;हौसला भी चाहिए ऊंची उड़ानों के लिए।भीग जाती थी पलक सुनकर धुनें जिनकी कभी,आँख में पानी कहाँ अब उन तरानों के लिए। ©Sameer Khan #Olampic2021 #Olympic2021