शब्दों का क्षीण हो जाना भावों की मृत्यु, और मुख पर मात्र मौन। मौन आवश्यक है , जब शब्दों का अरण्य आपके चारों और पनप रहा हो। आपके हिस्से के भावों का, जब मूल्य ना हो। मौन आवश्यक है जब, मन में चक्रवात हो अनेक प्रश्नों जिज्ञासाओं और भावनाओं का। मौन आवश्यक है , जब प्रत्युत्तर की आशा ना हो । जब लोलुपता और चाटुकारिता का दौर चरम पर हो। मौन का मूल्य बढ़ जाता है, जब अपने शब्दों का मूल्य नहीं खोना चाहते। मौन मात्र मौन नहीं भीतर का भीषण शोर है , जो अधरों पर आकर थम जाता है। #मौन_अभिव्यक्ति #अनाम_ख़्याल #innervoice #silencespeak