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क्लास के पहले ही दिन जब उसे देखा तो वो किसी भी नज़र

क्लास के पहले ही दिन जब उसे देखा तो वो किसी भी नज़रिये से लड़की नही लगती थी,छोटे छोटे बाल बिल्कुल तेरे नाम के सलाम भाई वाली स्टाइल चाल ढाल पहनावा सब कुछ बिल्कुल लड़कों जैसा था,टाइट जीन्स टी-शर्ट और सैंडल में ही उसे हमेशा देखा गया, कुछ ही दिन बाद पता लगा मेडम जूडो चैपियन हैं, और अब से पहले कबड्डी ट्रेनर भी रह चुकी है,

एग्जाम खत्म होने के बाद दादी नानी के घर जाने की पुरानी परम्परा को खत्म करते हुए हमने इस बार छुट्टियों में कुछ सीखने की कोई कोर्स करने की सोची
गृहनगर से दूर एक इंस्टिट्यूट का पता लगा जहाँ काफी सारे शॉर्ट टर्म कोर्स कराया जाते हैं, पड़ोस के 2 दोस्त और एक हम चल दिया वहाँ से कंप्यूटर कोर्स करने 45 दिनों का कोर्स था 8 घण्टे क्लास,बीच मे कोई छूट्टी नही रहना और खाना सब वही था।
हमने बैग पैक किया और जा पहुँचे इंस्टीट्यूट 35 लड़के लड़कियों का एक बेच बनाया गया था,जिन्हें लगभग 100 बच्चों में से चुना गया था,इंस्टीट्यूट के अपने कुछ नियम और क़ायदे थे जिनके आधार पर हम 35 को चुना गया,जिनमे से 22 लड़कियाँ और बाकी सब लड़के थे मतलब लड़कियाँ ही ज्यादा थी, वहाँ पहूँच कर सबसे पहले यही बात नोट की हमने,ये वो उम्र थी जब चेहरे पर दाढ़ी मूछों ने दस्तक दी ही थी,उम्र19 से  कुछ कम ही थी पहला दिन एक दूसरे से जान पहचान में निकल गया,एक दूसरे से जान पहचान के लिए कुछ एक्टिविटी भी कराई गई थीं,सभी एक दूसरे को हाथ मिलाकर अपना परिचय दे रहे थे,यह भी ट्रेंनिग का ही एक हिस्सा था,पहले दिन कुछ मजेदार खेल भी खिलाये जिनका मकसद एक दूसरे से जान पहचान व घुल मिल जाना ही था,5:30 तक क्लास थी क्लास के बाद हमे होस्टल दिखा दिया गया जहाँ एक बड़े से बन्द हॉल में काफी सारे बैड डले हुए थे ज्यादातर लड़के होस्टल में ही रहने आये थे लड़कियाँ सब वही आस पास से थी तो वो अपने अपने घरों से ही आती थी,इंस्टिट्यूट में अन्य बैच भी साथ चल रहे थे जैसे ब्यूटी पार्लर,ब्यूटी पार्लर में सभी लड़कियाँ थी,और वो क्लास हमारी क्लास के नीचे थी मतलब हमारी क्लास पहली मंजिल पर थी और पार्लर वाली क्लास ग्राउंड फ्लोर पर,हमें बीच बीच मे पानी पीने के लिए नीचे ग्राउंड फ्लोर पर  ही आना होता था और ग्राउंड फ्लोर पर जहाँ पानी फ्रीज़र लगा हुआ था उसके ठीक सामने पार्लर वाली क्लास का गेट था,जहाँ से अन्दर क्लास के दर्शन होते रहते थे,कभी कभी तो काफी देर हम लोग पानी पीने में लगा देते थे, और यह बात हमारे क्लास टीचर अच्छी तरह जान चुके थे। 
8 घण्टे हमें एक ही टीचर पढ़ाते थे कुछ ही दिनों में वो हम कुछ लड़कों से बहूत ही ज्यादा घुल मिल गये थे,काफी हँसी मजाक आपस में होने लगे थे,हमारी पहचान क्लास में उन शरारती लड़कों के रूप में होने लगी थी जो टीचर या किसी की भी टाँग खींचने का कोई मौका नही छोड़ते
अब सभी एक दूसरे को बहूत अच्छी तरह जान चुके थे 35 में से लगभग 20 ऐसे थे जिन्होंने इसी साल इण्टर के एग्जाम दिया है जिनमें से वो मैडम और हम भी एक थे
बाकी सभी सीनियर थे लड़कियाँ ज्यादातर सभी सीनियर्स थीं
sachinken0685

Sachin Ken

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क्लास के पहले ही दिन जब उसे देखा तो वो किसी भी नज़रिये से लड़की नही लगती थी,छोटे छोटे बाल बिल्कुल तेरे नाम के सलाम भाई वाली स्टाइल चाल ढाल पहनावा सब कुछ बिल्कुल लड़कों जैसा था,टाइट जीन्स टी-शर्ट और सैंडल में ही उसे हमेशा देखा गया, कुछ ही दिन बाद पता लगा मेडम जूडो चैपियन हैं, और अब से पहले कबड्डी ट्रेनर भी रह चुकी है, एग्जाम खत्म होने के बाद दादी नानी के घर जाने की पुरानी परम्परा को खत्म करते हुए हमने इस बार छुट्टियों में कुछ सीखने की कोई कोर्स करने की सोची गृहनगर से दूर एक इंस्टिट्यूट का पता लगा जहाँ काफी सारे शॉर्ट टर्म कोर्स कराया जाते हैं, पड़ोस के 2 दोस्त और एक हम चल दिया वहाँ से कंप्यूटर कोर्स करने 45 दिनों का कोर्स था 8 घण्टे क्लास,बीच मे कोई छूट्टी नही रहना और खाना सब वही था। हमने बैग पैक किया और जा पहुँचे इंस्टीट्यूट 35 लड़के लड़कियों का एक बेच बनाया गया था,जिन्हें लगभग 100 बच्चों में से चुना गया था,इंस्टीट्यूट के अपने कुछ नियम और क़ायदे थे जिनके आधार पर हम 35 को चुना गया,जिनमे से 22 लड़कियाँ और बाकी सब लड़के थे मतलब लड़कियाँ ही ज्यादा थी, वहाँ पहूँच कर सबसे पहले यही बात नोट की हमने,ये वो उम्र थी जब चेहरे पर दाढ़ी मूछों ने दस्तक दी ही थी,उम्र19 से कुछ कम ही थी पहला दिन एक दूसरे से जान पहचान में निकल गया,एक दूसरे से जान पहचान के लिए कुछ एक्टिविटी भी कराई गई थीं,सभी एक दूसरे को हाथ मिलाकर अपना परिचय दे रहे थे,यह भी ट्रेंनिग का ही एक हिस्सा था,पहले दिन कुछ मजेदार खेल भी खिलाये जिनका मकसद एक दूसरे से जान पहचान व घुल मिल जाना ही था,5:30 तक क्लास थी क्लास के बाद हमे होस्टल दिखा दिया गया जहाँ एक बड़े से बन्द हॉल में काफी सारे बैड डले हुए थे ज्यादातर लड़के होस्टल में ही रहने आये थे लड़कियाँ सब वही आस पास से थी तो वो अपने अपने घरों से ही आती थी,इंस्टिट्यूट में अन्य बैच भी साथ चल रहे थे जैसे ब्यूटी पार्लर,ब्यूटी पार्लर में सभी लड़कियाँ थी,और वो क्लास हमारी क्लास के नीचे थी मतलब हमारी क्लास पहली मंजिल पर थी और पार्लर वाली क्लास ग्राउंड फ्लोर पर,हमें बीच बीच मे पानी पीने के लिए नीचे ग्राउंड फ्लोर पर ही आना होता था और ग्राउंड फ्लोर पर जहाँ पानी फ्रीज़र लगा हुआ था उसके ठीक सामने पार्लर वाली क्लास का गेट था,जहाँ से अन्दर क्लास के दर्शन होते रहते थे,कभी कभी तो काफी देर हम लोग पानी पीने में लगा देते थे, और यह बात हमारे क्लास टीचर अच्छी तरह जान चुके थे। 8 घण्टे हमें एक ही टीचर पढ़ाते थे कुछ ही दिनों में वो हम कुछ लड़कों से बहूत ही ज्यादा घुल मिल गये थे,काफी हँसी मजाक आपस में होने लगे थे,हमारी पहचान क्लास में उन शरारती लड़कों के रूप में होने लगी थी जो टीचर या किसी की भी टाँग खींचने का कोई मौका नही छोड़ते अब सभी एक दूसरे को बहूत अच्छी तरह जान चुके थे 35 में से लगभग 20 ऐसे थे जिन्होंने इसी साल इण्टर के एग्जाम दिया है जिनमें से वो मैडम और हम भी एक थे बाकी सभी सीनियर थे लड़कियाँ ज्यादातर सभी सीनियर्स थीं #story #mylove #nojoto_hindi #हिन्दीस्टोरी #hindi_story

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