सुकून का दरिया धड़कनो का सितार हो तुम रब ने बक्शी है जो हमें वो बहार हो तुम... के इन सांसो पर हक़ अब तेरा हो चूका है मुद्दतों बाद मिली ख़ुशी का गुलज़ार हो तुम... तमन्नाओं भरी इस ज़िंदगी का इंतज़ार हो तुम जीने की वजह और मोहब्बत का इजहार हो तुम... पतझड़ के बाद जिस तरह शाखों पर पत्ते आते हैं तुझसे जुड़कर मिला जो मुझे वो संसार हो तुम... खुद से ज्यादा करने लगा तुझपर वो ऐतबार हो तुम शहर-ए-मोहब्बत में बमुश्किल से मिलता है वो यार हो तुम तेरे लिए तो तमाम हदों से भी गुजर जायेंगे अब हम सुकून की वजह तुमसे है क्यों की मेरा प्यार हो तुम... -akash bharti ©Guftgoon Lafzon Se GLS #sukun #GLSGuftgoonLafzonSe #FeelAndTalk #shayari #poetry #love #feelings