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तुम्हारे साथ के हर इक ख़्वाब को अपने हाथों तोड़ कर क

तुम्हारे साथ के हर इक ख़्वाब को अपने हाथों तोड़ कर
कुछ ख़्वाहिशों को हमेशा के लिए अधूरा छोड़ कर
हाँ जा रहा हूँ मैं, तुम्हें तुम्हारे हालात पर पूरा छोड़ कर
इतनी दूर की तुम्हारे ख़्वाबों का मेरी हक़ीक़तों से कोई वास्ता ना रहे
तेरी ज़िन्दगी से उलझा सा मेरा कोई रास्ता ना रहे
तूँ जब मंज़िलों पर पहुँचे तो सुकूँ हो ज़माने भर का
तेरी आँखों मे ना आये कभी क़तरा कोई मेरे गम का
तेरी आँख भूले से कभी नम ना हो
मेरे बाद तेरी दुनियाँ में कोई ग़म ना हो
वो चाँद किसी नज़्म में तुम्हे तुम्हारा अक्स ना कभी दिखलाए
मेरे बाद किसी दर्पण में तुम्हें मेरी सूरत ना नज़र आये
मेरे जाने का तेरे दिल को ना ज़रा सा भी मलाल रहे
तूँ मोहब्बत थी कभी मेरी, तुझे इतना भी ना ख्याल रहे
संभाले हर लम्हा खुदा तेरी खुशियों की अमानत रक्खे
बदले में मेरी रूह की बेशक़ क़यामत तक ज़मानत रक्खे #आख़िरी नज़्म
तुम्हारे साथ के हर इक ख़्वाब को अपने हाथों तोड़ कर
कुछ ख़्वाहिशों को हमेशा के लिए अधूरा छोड़ कर
हाँ जा रहा हूँ मैं, तुम्हें तुम्हारे हालात पर पूरा छोड़ कर
इतनी दूर की तुम्हारे ख़्वाबों का मेरी हक़ीक़तों से कोई वास्ता ना रहे
तेरी ज़िन्दगी से उलझा सा मेरा कोई रास्ता ना रहे
तूँ जब मंज़िलों पर पहुँचे तो सुकूँ हो ज़माने भर का
तेरी आँखों मे ना आये कभी क़तरा कोई मेरे गम का
तेरी आँख भूले से कभी नम ना हो
मेरे बाद तेरी दुनियाँ में कोई ग़म ना हो
वो चाँद किसी नज़्म में तुम्हे तुम्हारा अक्स ना कभी दिखलाए
मेरे बाद किसी दर्पण में तुम्हें मेरी सूरत ना नज़र आये
मेरे जाने का तेरे दिल को ना ज़रा सा भी मलाल रहे
तूँ मोहब्बत थी कभी मेरी, तुझे इतना भी ना ख्याल रहे
संभाले हर लम्हा खुदा तेरी खुशियों की अमानत रक्खे
बदले में मेरी रूह की बेशक़ क़यामत तक ज़मानत रक्खे #आख़िरी नज़्म