आँखो में ये ख़्वाब किसका है, अधूरा है जो उसका है| आँखों में ये फ़िक्र किसकी है, ज़िक्र नहीं जिसका उसका है| आँखों में ये दर्द किसका है, मरहम नहीं जिसका उसका है| आँखों में ये मंज़िल किसकी है, सफ़र नहीं जिसकी उसकी है| आँखों में ये साहिल किसका है, साथी नहीं जिसका उसका है| आँखों में ये जुबान किसकी है, आवाज़ नहीं जिसकी उसकी है| आँखों में ये इश्क़ किसका है, देख ले जो उसका है| आँखों में ये कविता किसकी है, साथ नहीं जो उसकी है| और कविता में ये अल्फाज़ किस के है, कलम नहीं है जिसकी उसके है♥️ ©Pyaari Muskan . . . . . . और कविता में ये अल्फाज़ किस के है, कलम नहीं है जिसकी उसके है♥️