एक दिन दोपहर के समय पर काम पूरा ख़त्म करके
बस ऐसे ही खिड़की के पास बैठ गई थी..
बस अचानक से जितनी धूप थी,
उतने में ही काले बदल छाए हुए दिख गए
बस कुछ अपनी ही धुन में खो गई थी
उतने में हलका सा बारिश होने लगा..
बस इतने में याद आया, ऊपर छत पर कपड़े है
बस जल्दी से गई छत पर,