हिंदुस्तान का विकास धरा का धरा रह जाता है जब एक बच्चा दो वक्त की रोटी नही पाता है। अखण्डता में एकता की बातें खोखली लगती है जब हम मजहब के नाम पर एक दूसरे का सर काटते है। युवा शसक्तीकरण की बातें डरावनी लगती जब एक युवा समाज के बोझ तले आत्महत्या का रुख अपनाता है। काले धब्बे की तरह लगती है हमारी आस्था जब एक बच्ची दो पैसो के लिए चौराहे पे कलम बेचती है। दिखावा लगता है जय जवान जय किसान का नारा जब एक किसान कर्ज के बोझ तले आत्म समर्पण का रास्ता अपनाता है। हमारी शिक्षा नीति में प्रश्न वाचक चिन्ह लग जाता है जब एक शिक्षित वर्ग बिल्ली के रास्ता काटने को अव्सगुन मान लेता है। -Hariom सूर्यवंशी India