तप विश्वामित्र का, ययाति चंद्रवंश तेज शकुंतला और दुष्यंत बन आए थे। गुणों के महा पुंज में सुरम्यसे निकुंज में भारत के वैभव का अनंत बन आए थे। रुप और तेज दोनों वर में प्रखर थे फूल के सिंगारमें लता सी थी लतायनी कोटि अनंगप्रिया संग थे लजारहे । नील घनश्याम बीचजैसे कोई दामिनी। ©Abhilasha Dixit शकुंतला और दुष्यंत विवाह