ग़म हो या ख़ुशी पन्नों पर उतारते हैं मैं और कलम जज़्बातों को शब्दों में सजाते हैं, जब और कोई साथ ना दे ज़माने में मैं और कलम एक दूजे का साथ निभाते हैं, दिल की बात जो जुबां पर ना आए मैं और कलम वो ख़त से बयां कर जाते हैं, ख़यालों के समंदर में गोते लगाते मैं और कलम कोरे काग़ज़ में बह जाते हैं, जीवन के कटु सत्य को अपनाते हैं मैं और कलम जीवन की सखियाँ बन जाते हैं। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1001 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।