Unsplash ग़ज़ल किताब के हर पन्ने में खो जाता हूँ मैं। दुनिया की तन्हाई भी, पा जाता हूँ मैं। सारे सवालों के जवाब मिलते हैं वहाँ, एक शब्द में एक जहां बसा जाता हूँ मैं। कभी हंसते हुए, कभी ग़म में डूबे, किताबों की कहानियों में खो जाता हूँ मैं। जब भी तनहाई ने घेरा, किताबें साथ थीं, हर दर्द को किताब से सुला जाता हूँ मैं। किताबें मेरी हमराज़, मेरी साथी हैं, इनमें खुद को हर बार पा जाता हूँ मैं। – संतोष तात्या शोधार्थी ©tatya luciferin #Book #tatya #तात्या #santoshtatya #tatyaluciferin #tatyakavi