#OpenPoetry मेरी यह कविता एक आम आदमी को समर्पित है ।। अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए बेच रहा था वह सामान पेट भरने के लिए साथ में अपने हुनर का भी कर रहा था प्रदर्शन इसी अदा से लोगों का मोह रहा था वो मन कोई भी उससे नहीं कर रहा था मोलभाव चीजों से ज्यादा लोगों को आ रहा था उसमें चाव जबरदस्त मार्केटिंग टेक्निक्स था दिखा रहा अपनी बोली से सब को था वो रिझा रहा फिर भी उस बंदे पर कानूनी कार्यवाही हो गई अवैध रूप से चीजें बेचने पर जेल हो गई इस बात पर मेरे दिमाग में एक सवाल आता है जो ताली बजाकर है पैसे लेते क्यों उन्हें बर्दाश्त किया जाता है वे तो जिद पर अड़ कर भी जबरदस्ती पैसे ले जाते हैं लेकिन इनके जैसे लोग कानून के शिकंजे में आ जाते हैं। मानता हूं मैं कानून तो है हमारी सुरक्षा के लिए बना हुआ लेकिन कोई किन्नरों से भी कह दो जबरदस्ती पैसा लेना है गुनाह.. सुमित मानधना 'गौरव' #OpenPoetry #aamaadmi #wokhilonewala #kavita #realworld #sacchikahani