फरेब अक्सर हम अपनों से ही खाते रहे, अपने ही उस पर मलहम भी लगाते रहे, कहो बहरूपिया दुनिया में अपना कौन है? इस प्रश्न पर तो ज्ञानी ध्यानी भी मौन हैं; अपनों को ही पहचानने में है बड़ी दुश्वारी, तभी मन के घाव छुपाने की है लाचारी। हम हमेशा फ़रेब खाते रहे... #फ़रेब #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #jayakikalamse