कमसिन अदा, मधुर मुस्कान, भोले-भाले चेहरे। लूट लेते हैं दिल का करार, घाव देते हैं गहरे। दिलकश बातें, मोहनी सूरत और ढ़ेर सारे नखरें। छीनकर रातों का सुकून, ख़्वाब दिखाएं सुनहरे। इश्क़ की धूप में तपता बदन, कहाँ जाकर ठहरे। ज़ुल्फ़ों की छांव में मिली राहत, जैसे शीतल लहरें। रौनक रहती है तुमसे ही, जैसे नदियाँ और नहरें। तुम बिन हम जाएं कहाँ, क्यूँ ख़्वाब दिखाए सुनहरे। तुझ बिन मेरी अधूरी शामें, तुझ बिन मन न ठहरे। साहिल को भी यूँ बाँध लिए, तेरे इश्क़ के ये पहरे। ♥️ Challenge-527 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।