व्यक्ति और पद दोनों अलग होते हैं। व्यक्ति के निजी जीवन का धर्म और उसके पद का धर्म दोनों अलग होता है। जब वो पद पर होता है, तो उसका कर्म अपने पद की मर्यादा की रक्षा करना होता है, और अगर उस व्यक्ति का निजी धर्म भी उसके आड़े आये तो उसे उसकी तिलांजलि देनी पड़ती है। यही शास्त्र है और यही धर्म है। रामायण और महाभारत हमारी सबसे बड़ी धरोहर है, और जीवन को सही दिशा दिखाने की सबसे बड़ी पूंजी। जय श्री राम। जय श्री कृष्ण। **इन उपर्लिखित वाक्यों का स्त्रोत महाभारत कथा (बी आर चोपड़ा जी की, डी डी वन के सौजन्य से) में दिखाए हस्तिनापुर कुलगुरु और महाराज युधिष्ठिर के संवाद से लिया गया है।