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अतीत की उन गलियों में अब जाता नही कोई, ऊँची उड़ानों

अतीत की उन गलियों में अब जाता नही कोई,
ऊँची उड़ानों के लिए पँख फैलाता नही कोई।

किसकी हिचकियाँ दिल को परेशान रखती है,
याद  मुझकों  तो  आज  भी आता नही कोई।

जज़्बातों  के  बिखरें  मोती समेट  लिए उस दिन,
जिस दिन इश्क़ की आख़िरी कली मुरझाई कोई।

तेरे पयाम से मुलाक़ात होती है ख़्यालों मे अक़्सर,
बस ख़्वाबों तक है हक़ीक़त में नही जताता कोई।

सबा की वो छुअन मेरे बदन में बेक़सी बढ़ाती है,
मालूम होता है फ़िज़ाओं में ज़हर मिलाता है कोई।

इस जहाँ में बे-नियाज़ी से बढ़कर कोई सज़ा नही,
जिसे मर्ज़-ए-इश्क़ हो ठीक नही करती उसे दवा कोई।

इंतज़ार ऐतबार तकरार आज भी अच्छा लगता है मुझें,
होश में नही हूँ 'आशु'फिर भी ना कहें मुझें आशिक़ कोई।


 (please Read in caption also)
अतीत की उन गलियों में अब जाता नही कोई,
ऊँची उड़ानों के लिए पँख फैलाता नही कोई।

किसकी हिचकियाँ दिल को परेशान रखती है,
याद  मुझकों  तो  आज  भी आता नही कोई।

जज़्बातों  के  बिखरें  मोती समेट  लिए उस दिन,
अतीत की उन गलियों में अब जाता नही कोई,
ऊँची उड़ानों के लिए पँख फैलाता नही कोई।

किसकी हिचकियाँ दिल को परेशान रखती है,
याद  मुझकों  तो  आज  भी आता नही कोई।

जज़्बातों  के  बिखरें  मोती समेट  लिए उस दिन,
जिस दिन इश्क़ की आख़िरी कली मुरझाई कोई।

तेरे पयाम से मुलाक़ात होती है ख़्यालों मे अक़्सर,
बस ख़्वाबों तक है हक़ीक़त में नही जताता कोई।

सबा की वो छुअन मेरे बदन में बेक़सी बढ़ाती है,
मालूम होता है फ़िज़ाओं में ज़हर मिलाता है कोई।

इस जहाँ में बे-नियाज़ी से बढ़कर कोई सज़ा नही,
जिसे मर्ज़-ए-इश्क़ हो ठीक नही करती उसे दवा कोई।

इंतज़ार ऐतबार तकरार आज भी अच्छा लगता है मुझें,
होश में नही हूँ 'आशु'फिर भी ना कहें मुझें आशिक़ कोई।


 (please Read in caption also)
अतीत की उन गलियों में अब जाता नही कोई,
ऊँची उड़ानों के लिए पँख फैलाता नही कोई।

किसकी हिचकियाँ दिल को परेशान रखती है,
याद  मुझकों  तो  आज  भी आता नही कोई।

जज़्बातों  के  बिखरें  मोती समेट  लिए उस दिन,