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काँप जाता है हर एक पुर्जा इस बन्जर शरीर का भी, यूँ

काँप जाता है हर एक पुर्जा इस बन्जर शरीर का भी,
यूँ न गुलाब सा मुस्कुराया करो,
बहक जाता है खुशबु की लहर में हर एक कतरा,
यूँ न शरमाया करो। Yun
काँप जाता है हर एक पुर्जा इस बन्जर शरीर का भी,
यूँ न गुलाब सा मुस्कुराया करो,
बहक जाता है खुशबु की लहर में हर एक कतरा,
यूँ न शरमाया करो। Yun
jatinkumar1537

Jatin Kumar

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