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One true story in the form of poems Chapter- 7

One true story in the form of poems
Chapter- 7
            "मेरा शहर"

कुछ सवा-डेढ़ साल बाद मैं अपने शहर आया था 
उस शहर जहां मैंने अपने बचपन को खेलते देखा था
उस शहर जहाँ मैंने जवानी में कदम रखा था
जहां मेरे प्रिय मित्र रहते थे 
और जहां मेरा कभी दिल टूटा था

यहीं सालों बाद मैं Anupreet से मिला
Aanya और Virushka की बातों का ही चलाता था में सिलसिला
उनकी दोस्ती में दिखती है हमारी दोस्ती की झलक
मेरे प्रिये मित्र को बताया मैंने यही हो बेधड़क

वो सिगरेट का धुआं उड़ा मेरी बातों को सुनता था
और शायद अपने मन ही मन कोई कहानी बुनता था
आखिर कह दिया उसने की तुझे शायद इश्क़ हुआ है और वो Virushka नही Aanya है
इस बार तू मुझसे मिलके, अपने शहर आके ख़ुश कम गमगिन ज्यादा हुआ है

मेरे दोस्त ने मुझे पढ़ लिया था 
मैं मेरे शहर से तेरे शहर की और चल दिया था
आ तो गया था फिर से यहां
पर तुम्हें देखने का इंतज़ार था कहाँ थमा

जब लगभग दो महीने बाद तुम्हे फिर से देखने का समय आया
पीले भूत ( jaundice) ने था मुझपे अपना तांडव मचाया
अब इम्तेहान इंतज़ार की कुछ दिन और बढ़ गई थी
तेरी सुकून भरी मुस्कान को सहेजने की बेइन्तहाँ तलब मच गई थी..... So those meetings came to end and Navneet went to his hometown where he met his teenage friend Anupreet..and talked to him mostly about Aanya and Virushka... Navneet knew nothing about Aanya's thinking about him.. By the end of around two months Navneet got Jaundice too and that was a shock for him.. His wait to meet her was prolonged...
Do comment how much are u liking the story of my Protagonist...

#nanowrimo18 #yqdidi #yqhindi #lovestory #tales #yqbaba #शहर #vineetvicky
One true story in the form of poems
Chapter- 7
            "मेरा शहर"

कुछ सवा-डेढ़ साल बाद मैं अपने शहर आया था 
उस शहर जहां मैंने अपने बचपन को खेलते देखा था
उस शहर जहाँ मैंने जवानी में कदम रखा था
जहां मेरे प्रिय मित्र रहते थे 
और जहां मेरा कभी दिल टूटा था

यहीं सालों बाद मैं Anupreet से मिला
Aanya और Virushka की बातों का ही चलाता था में सिलसिला
उनकी दोस्ती में दिखती है हमारी दोस्ती की झलक
मेरे प्रिये मित्र को बताया मैंने यही हो बेधड़क

वो सिगरेट का धुआं उड़ा मेरी बातों को सुनता था
और शायद अपने मन ही मन कोई कहानी बुनता था
आखिर कह दिया उसने की तुझे शायद इश्क़ हुआ है और वो Virushka नही Aanya है
इस बार तू मुझसे मिलके, अपने शहर आके ख़ुश कम गमगिन ज्यादा हुआ है

मेरे दोस्त ने मुझे पढ़ लिया था 
मैं मेरे शहर से तेरे शहर की और चल दिया था
आ तो गया था फिर से यहां
पर तुम्हें देखने का इंतज़ार था कहाँ थमा

जब लगभग दो महीने बाद तुम्हे फिर से देखने का समय आया
पीले भूत ( jaundice) ने था मुझपे अपना तांडव मचाया
अब इम्तेहान इंतज़ार की कुछ दिन और बढ़ गई थी
तेरी सुकून भरी मुस्कान को सहेजने की बेइन्तहाँ तलब मच गई थी..... So those meetings came to end and Navneet went to his hometown where he met his teenage friend Anupreet..and talked to him mostly about Aanya and Virushka... Navneet knew nothing about Aanya's thinking about him.. By the end of around two months Navneet got Jaundice too and that was a shock for him.. His wait to meet her was prolonged...
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