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कभी कभी अंदर का बचपन अपने आप ही कहता है - कि देखो

कभी कभी अंदर का बचपन
अपने आप ही कहता है -
कि देखो ज़्यादा बड़ी बड़ी बाते मत करो..
चुपचाप घर से थोड़ा बाहर निकलो ..
किसी उद्यान में..
वहां बच्चों को खेलते हुए देखो ..
और अगर थोड़ा साहस हो तो..
उन बच्चों के साथ खेलो !
और अगर साहस जुटाने का मन न हो..
तो प्रकृति के नज़ारों के पास चले जाओ..
वहां एक दिव्य मौन मिलेगा..
जो एक संवाद की तरह होगा ..
 सिर्फ तुम्हारे और प्रकृति के बीच में होगा..
फिर देखना !जीवन रोचक कैसे नही होता..

©Anupama Sharma
  कविता❤️🎈🎉
#innerchild ❤️

कविता❤️🎈🎉 #innerchild ❤️ #Poetry

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