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कांटो से भरे,मुश्किलो से भरे रास्ते बहुत ही कठिन

कांटो से भरे,मुश्किलो से भरे 
रास्ते बहुत ही कठिन थे मेरे
उम्र का वो छोटा सा पड़ाव था
तब से मैं संघर्ष करता रहा
मानो बर्फ सा भी पिघलता रहा
फिर भी मैं उन रास्तो पर चलता रहा।


रोकना भी चाहा,टोकना भी चाहा
इन मुश्किलो को सोखना भी चाहा
पर ये मुश्किलेआफताब सी बड़ी थी
सायद इसीलिए मैं हर बार हार जाता रहा
इतने में भी हार मानी नही हमने
हारकर भी जितने की कोशिश करता रहा
फिर भी मैं उन रास्तो पर चलता रहा।


सुना था जिंदगी बार बार इम्तिहाँ लेती ह
और ये इम्तिहाँ सबके लिए मुकम्मल होती ह
न जाने कौन सा मंजर देखा इसने मुझमे
जो ये मुझसे ही बार बार इम्तिहाँ लेता रहा
गिरता रहा,उठता रहा,थकता रहा
फिर भी मैं उन रास्तो पर चलता रहा।


माना ये ठोकरे भी जिंदगी की 
हमे बहुत कुछ सिखाती ह
पर ठोकरे ज्यादा हो जाये तो
हमे अपाहिज भी यही बनाती ह
संघर्ष के इस कुरुक्षेत्र में मैं अकेला
खुद के लिए खुदा से भी लड़ता रहा
फिर भी मैं उन रास्तो पर चलता रहा
फिर भी मैं उन रास्तों पर चलता रहा..


मानो जैसे दरियाँ कई, अंधेरे कई
सब कुछ ही अंदर थे मेरे
यू कुछ इस तरह से बढ़ते गए
ये दर्द के समंदर मेरे
सबके हक की रोशनी के लिए 
मैं खुद दीपक बनकर जलता रहा
गिरता रहा,उठता रहा,थकता रहा
फिर भी मैं उन रास्तों पर चलता रहा
फिर भी मैं उन रास्तो पर चलता रहा......
@piyush singh संघर्ष एक कहानी
कांटो से भरे,मुश्किलो से भरे 
रास्ते बहुत ही कठिन थे मेरे
उम्र का वो छोटा सा पड़ाव था
तब से मैं संघर्ष करता रहा
मानो बर्फ सा भी पिघलता रहा
फिर भी मैं उन रास्तो पर चलता रहा।


रोकना भी चाहा,टोकना भी चाहा
इन मुश्किलो को सोखना भी चाहा
पर ये मुश्किलेआफताब सी बड़ी थी
सायद इसीलिए मैं हर बार हार जाता रहा
इतने में भी हार मानी नही हमने
हारकर भी जितने की कोशिश करता रहा
फिर भी मैं उन रास्तो पर चलता रहा।


सुना था जिंदगी बार बार इम्तिहाँ लेती ह
और ये इम्तिहाँ सबके लिए मुकम्मल होती ह
न जाने कौन सा मंजर देखा इसने मुझमे
जो ये मुझसे ही बार बार इम्तिहाँ लेता रहा
गिरता रहा,उठता रहा,थकता रहा
फिर भी मैं उन रास्तो पर चलता रहा।


माना ये ठोकरे भी जिंदगी की 
हमे बहुत कुछ सिखाती ह
पर ठोकरे ज्यादा हो जाये तो
हमे अपाहिज भी यही बनाती ह
संघर्ष के इस कुरुक्षेत्र में मैं अकेला
खुद के लिए खुदा से भी लड़ता रहा
फिर भी मैं उन रास्तो पर चलता रहा
फिर भी मैं उन रास्तों पर चलता रहा..


मानो जैसे दरियाँ कई, अंधेरे कई
सब कुछ ही अंदर थे मेरे
यू कुछ इस तरह से बढ़ते गए
ये दर्द के समंदर मेरे
सबके हक की रोशनी के लिए 
मैं खुद दीपक बनकर जलता रहा
गिरता रहा,उठता रहा,थकता रहा
फिर भी मैं उन रास्तों पर चलता रहा
फिर भी मैं उन रास्तो पर चलता रहा......
@piyush singh संघर्ष एक कहानी
piyushsingh9087

Piyush singh

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