मेरी औकात से अपने अहम को वो करे सन्तुष्ट बड़ी मजबूर हैं खुशीयाँ बड़ी बेबस हैं खुशीयाँ वो मरने भी नहीं देंगे और जीने तो नहीं देंगे एक होकर के भी दिल बड़ा हो नहीं पाया वो सामान्य मैं पागल हम फिर भी मिलते जुल्ते हैं वो मरने भी.................