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गगन कहे सागर से,सब मेरी ही माया है, मैं नीला गगन म

गगन कहे सागर से,सब मेरी ही माया है,
मैं नीला गगन महान,तू गहरा काला साया है,

सब मुझ को छूना चाहे,खोलकर अपनी बाहें,
काल्पनिक पंख फैलाकर, ढूंढते अपनी राहें,

मुझको छूने आते है, बस मेरे ही हो जाते है
तुझमें डूबे तो शून्य,पर अंक मुझी से पाते हैं,

चमक जाते है कितनो की किस्मत के तारे
मुझको छूकर हो जाते हैं, सबके वारे न्यारे,

सुन गगन की बातें और ऊंचाई की प्रशंसा
माना गगन है महान,है गहराई का भी किस्सा

गहरा सागर,गहरी नदिया ,गहरे कुए का पानी,
सबके लिए उपयोगी, गहराई है जीवन दानी,

भावना का बीज सदा से गहराई में उगता है,
सच्चाई का दीपक गहरे,अंतर्मन में जगता है

ऊंचाई में अक्सर आ जाता गुरूर है,
किंतु गहरे सागर में प्रेम भरा सुरूर है,

©Sangeeta Verma
  #गगन #सागर