// देखा है ऐसे भी मैंने....// देखा है ऐसे भी मैंने, आग लगाने वालों को ! मनहूसियत फैलाने वालों को, अपने ज़हर से डसने वालों को ! रही न जिनकी कमीनेपन की न कोई जात, न कोई हद ! देखा है ऐसे भी मैंने, मिश्री बनकर पीठ में छुरा चलाने वालो को ! दोस्ती की आड़ में, बर्बाद करने वालों को, इंसानियत खत्म कर देने वालों को ! देखा है ऐसे भी मैंने, कुछ बईमान बेशर्मो को, दगाबाज़ इंसानो को..!! #देखाहैऐसाभीमैंने