दृष्टियाँ दो होती है-एक सत् दूसरी असत्। सत् दृष्टि वह है जो भावनाओं में सुख दुःख को समझती है और अपने अन्दर तथा दूसरों से सद्भाव बढ़ाने में सुख सन्तोष देखती है। असत् दृष्टि वह है जो वस्तुओं, धन, सौंदर्य, वैभव, भोग, ऐश्वर्य में आनन्द खोजती है। अखंड ज्योति दृष्टि