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में खोजता रहा जिंदगी भर खुशियों को खुशियाँ मिल न

में खोजता रहा जिंदगी भर खुशियों को 
खुशियाँ मिल न सकी,दुनिया के
 बाजार में
सब खिलौने देख लिए, टोटोल टटोल कर 
पल में सारे टूट गए
एक आस आखिरी थी जिस पर , 
आँख बंद कर, उसको याद किया, 
हुआ अहसास ,की मैने जिंदगी क्यों, 
ऐसे ही बर्बाद किया, 
जिसकी कृपा, से सब चल रहा है
पल पल कुछ न कुछ मिल रहा है
गम हो ,या ख़ुशी हो, या हो ,कोई और
मौसम 
है महिमा सब उसकी, सच्ची जिसकी
संगत है, उससे ही जीवन उससे
ही खुशियों की पंगत है
वो पार ब्रह्म, परमेश्वर,वो अनंत ईश्वर है
सारी खुशियाँ जिसमें  समायी है

©पथिक
  #khushiyon ka बाजार

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