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मुहब्बत में तेरी जानिब गुज़रता ही नहीं कोई... तु ज

मुहब्बत में तेरी जानिब गुज़रता ही नहीं कोई...
तु जो चाहता है वो करता ही नहीं कोई...
इरादे तेरे सारे यूं बिखर के रह जाएंगे...
जब तक तेरी ख्वाहीशे बदलता ही नहीं कोई...

कहती हैं ज़मीं भी इन दरख़्तो से के बस यूं ही...
पकड़ ले जो मुझे कसकर उड़ाता ही नहीं कोई...
हवाएं भी परिंदों से बस ये ही कहती हैं...
इस तरह गिरोगे जो बचता ही नहीं कोई...

ये तो बोलती दुनिया है इसका मुंह मत खोलो...
चपेटो से इसकी भी बचता ही नहीं कोई...
अपने राज़ छुपाने को किसी भी कहोगे तुम...
कितना भी कह दो तुम छुपाता ही नहीं कोई...

By Rizwan Ansari

Badnaam shayar Gazal by Rizwan Ansari
#Rizwanansari #Badnaamshayar #MRApoetrypaigam
मुहब्बत में तेरी जानिब गुज़रता ही नहीं कोई...
तु जो चाहता है वो करता ही नहीं कोई...
इरादे तेरे सारे यूं बिखर के रह जाएंगे...
जब तक तेरी ख्वाहीशे बदलता ही नहीं कोई...

कहती हैं ज़मीं भी इन दरख़्तो से के बस यूं ही...
पकड़ ले जो मुझे कसकर उड़ाता ही नहीं कोई...
हवाएं भी परिंदों से बस ये ही कहती हैं...
इस तरह गिरोगे जो बचता ही नहीं कोई...

ये तो बोलती दुनिया है इसका मुंह मत खोलो...
चपेटो से इसकी भी बचता ही नहीं कोई...
अपने राज़ छुपाने को किसी भी कहोगे तुम...
कितना भी कह दो तुम छुपाता ही नहीं कोई...

By Rizwan Ansari

Badnaam shayar Gazal by Rizwan Ansari
#Rizwanansari #Badnaamshayar #MRApoetrypaigam