कड़वी है हर एक घूंट मगर पीनी ही होती है ज़िन्दगी जिस लहज़े में मिले जीनी ही होती है ये रिश्ते बिना धागों की सुई बन गई हो जैसे सिलती नहीं कुछ भी बस रूह को चुभोती है कौन बर्बादियों का इल्ज़ाम सर अपने लेता है ज़िन्दगी मेरी ख़ुद अपने फैसलों पे रोती है मैं किन रिश्तों को अपना फ़िक्रमंद कहूँ सब रिश्तों का तर्ज़ुमा अब मतलब परस्ती है वो इबादतग़ाह के मुज़रिम हैं गुनहगार हैं सारे जिनके हाथ में खंज़र होठों पे दुआ होती है #अभिशप्त_वरदान #कड़वी_सी_ज़िन्दगी #yqbaba #yqdidi