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नारी कभी धूप कभी छांव सी तू , कभी आग कभी शबनम सी

नारी

कभी धूप कभी छांव सी तू ,
कभी आग कभी शबनम सी तू ।

कभी बाढ़ कभी शांत पानी सी तू ,
कभी आँधी कभी मंद हवाओं सी तू ।

कभी सख्त पत्थर कभी मौम सी तू ,
कभी काँटों कभी कोमल फूल सी तू ।

कभी काली कभी ममतामयी सी तू ,
कभी बंजर कभी हरिता से पूर्ण सी तू ।। नारी

कभी धूप कभी छांव सी तू ,
कभी आग कभी शबनम सी तू ।
कभी बाढ़ कभी शांत पानी सी तू ,
कभी आँधी कभी मंद हवाओं सी तू ।
कभी सख्त पत्थर कभी मौम सी तू ,
कभी काँटों कभी कोमल फूल सी तू ।
नारी

कभी धूप कभी छांव सी तू ,
कभी आग कभी शबनम सी तू ।

कभी बाढ़ कभी शांत पानी सी तू ,
कभी आँधी कभी मंद हवाओं सी तू ।

कभी सख्त पत्थर कभी मौम सी तू ,
कभी काँटों कभी कोमल फूल सी तू ।

कभी काली कभी ममतामयी सी तू ,
कभी बंजर कभी हरिता से पूर्ण सी तू ।। नारी

कभी धूप कभी छांव सी तू ,
कभी आग कभी शबनम सी तू ।
कभी बाढ़ कभी शांत पानी सी तू ,
कभी आँधी कभी मंद हवाओं सी तू ।
कभी सख्त पत्थर कभी मौम सी तू ,
कभी काँटों कभी कोमल फूल सी तू ।

नारी कभी धूप कभी छांव सी तू , कभी आग कभी शबनम सी तू । कभी बाढ़ कभी शांत पानी सी तू , कभी आँधी कभी मंद हवाओं सी तू । कभी सख्त पत्थर कभी मौम सी तू , कभी काँटों कभी कोमल फूल सी तू । #reading #कविता