नारी कभी धूप कभी छांव सी तू , कभी आग कभी शबनम सी तू । कभी बाढ़ कभी शांत पानी सी तू , कभी आँधी कभी मंद हवाओं सी तू । कभी सख्त पत्थर कभी मौम सी तू , कभी काँटों कभी कोमल फूल सी तू । कभी काली कभी ममतामयी सी तू , कभी बंजर कभी हरिता से पूर्ण सी तू ।। नारी कभी धूप कभी छांव सी तू , कभी आग कभी शबनम सी तू । कभी बाढ़ कभी शांत पानी सी तू , कभी आँधी कभी मंद हवाओं सी तू । कभी सख्त पत्थर कभी मौम सी तू , कभी काँटों कभी कोमल फूल सी तू ।