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नहीं! अभी अंत नहीं होगा प्रेम और अनुग्रहों का भल


नहीं!
अभी अंत नहीं होगा
प्रेम और अनुग्रहों का

भले ही
देवालयों के प्रस्तर से 
टकराकर
लौट ही क्यों न आएँ
अनगिनत प्रार्थनाएँ!
और छिटक कर सृष्टि में 
रूपांतरित हो जाएँ
कभी पुष्पों में
कभी जुगनुओं में 
तो कभी
कवि की कविताओं में।

हे देव!
मेरी कविताएँ भी
तुम्हारी चौखट से 
अनसुनी लौट आईं
वही प्रार्थनाएँ हैं।
आज भी 
तुम्हारे अनुग्रह
की प्रतीक्षा में
बाट जोहती।
.
.
.
स्वीकारो!!
--सुनीता डी प्रसाद💐💐




 #अनुग्रह.....

नहीं!
अभी अंत नहीं होगा
प्रेम और अनुग्रहों का

भले ही
देवालयों के प्रस्तर से

नहीं!
अभी अंत नहीं होगा
प्रेम और अनुग्रहों का

भले ही
देवालयों के प्रस्तर से 
टकराकर
लौट ही क्यों न आएँ
अनगिनत प्रार्थनाएँ!
और छिटक कर सृष्टि में 
रूपांतरित हो जाएँ
कभी पुष्पों में
कभी जुगनुओं में 
तो कभी
कवि की कविताओं में।

हे देव!
मेरी कविताएँ भी
तुम्हारी चौखट से 
अनसुनी लौट आईं
वही प्रार्थनाएँ हैं।
आज भी 
तुम्हारे अनुग्रह
की प्रतीक्षा में
बाट जोहती।
.
.
.
स्वीकारो!!
--सुनीता डी प्रसाद💐💐




 #अनुग्रह.....

नहीं!
अभी अंत नहीं होगा
प्रेम और अनुग्रहों का

भले ही
देवालयों के प्रस्तर से