इज़्ज़त और प्यार का, अपहरण कर, उन्हें हथियाने की कोशिश, ना करिए हुज़ूर। मुरझाकर, बेजान हो जाते हैं रिश्ते, कैद में, उन्हें आज़ादी का, तोहफा दी जिए ज़रूर। दिल की बातों में, ज़ोर ज़बरदस्ती से, मिलता नही कुछ भी, बुरी तरह से परास्त हो जाता है यहाँ, बड़ों-बड़ों का गुरूर। जहाँ दिखता है, साफ और निस्वार्थ दिल, इज़्ज़त और प्यार, खुद ही नही रह पाते, उस दिल से दूर। अपने व्यवहार और कर्मों से, दिल जीतने की काबलियत रखिए, अपने आप, कमाई हुई इज़्ज़त और प्यार का, अलग ही है सुरूर। #इज़्ज़त#प्यार#कमाईए