मुस्कुराते हुए तुम, बालों को यूँ सवारतें क्यों हो... तन्हा सुर्ख रातों मे ही, मुझे पुकारते क्यों हो... माना मोहब्बत नही है तुम्हें मूझसे बेशक... पर मेरी तसवीर को यूँ, हर वक़्त निहारते क्यों हो... #कलम_thought