मासूम बनकर जीना कहाँ रहा अब आसान उजाड़ देंगे लोग सारे बूने गट्ठर-ए-अरमान। कब तक फलक चलेगा मासूमियत का परदा बहुत किये मासूम बनकर सबके साथ सजदा। बनाना पड़ेगा शख्सियत को कुछ ऐसे अखण्डित किसी की खिदमत नही जो कर पाए साख को विखण्डित। ✍️आशुतोष यादव #cards #ताश_के_जैसी_ज़िन्दगी #मासूम_बनकर_जीना_कहाँ_रहा_आसान #poetry #poem #nojoto Harsh dubey indira Sudha Tripathi Khan Perfect💞