हँसते हँसते हम बात करें जगते रहते हर रात यहाँ। दिन बीत गया फिर रात हुई पर खत्म न हो अब बात यहाँ। हम प्रेम पराग लिए अधरों पर भींग रहा सब गात यहाँ। दुख का न प्रवेश कहीं रहता हम दें उसको अब मात यहाँ। #दुर्मिल_सवैया #प्रेमरंग #विश्वासी