तुम मिलो किसी शब... ( अनुशीर्षक ) प्रस्तुत नज़्म तुम्हारी ग़ज़ल से प्रेरित है, और वैसे भी तुम्हारे अवतरण दिवस का तोहफा अब तक pending है, तो तोहफा कुबूल करो (2. 🌀) 🥂🥂🥂 तुम मिलो किसी शब और बारिशें बेशुमार हों,