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तुम मिलो किसी शब... ( अनुशीर्षक ) प्रस्तुत नज़्म तु

तुम मिलो किसी शब...
( अनुशीर्षक ) प्रस्तुत नज़्म तुम्हारी ग़ज़ल से प्रेरित है,
और वैसे भी तुम्हारे अवतरण दिवस का तोहफा
अब तक pending है,
तो तोहफा कुबूल करो (2. 🌀)
🥂🥂🥂

तुम मिलो किसी शब 
और बारिशें बेशुमार हों,
तुम मिलो किसी शब...
( अनुशीर्षक ) प्रस्तुत नज़्म तुम्हारी ग़ज़ल से प्रेरित है,
और वैसे भी तुम्हारे अवतरण दिवस का तोहफा
अब तक pending है,
तो तोहफा कुबूल करो (2. 🌀)
🥂🥂🥂

तुम मिलो किसी शब 
और बारिशें बेशुमार हों,
alpanabhardwaj6740

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