मैं ढूँढ़ती रहती हूँ हर-एक सफ़हे में तुझे। तुम मिलते हो इन्तज़ार के लम्हें में मुझे। सपनों के पुल बनाकर चाँद पर जाती हूँ! सितारों से आँख बचाकर तुम्हें छू आती हूँ। मैं महसूस करती हूँ इन फ़िज़ाओं में तुझे! तुम मिलते हो बेक़रार सी हवाओं में मुझे। ♥️ Challenge-880 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।