हर कोने पर, एक मजहबी दुकान थी तेरा वजूद, ना तेरी कोई पहचान थी इन पोथियों ने, खुद से मिलने ना दिया मौत बेईमान थी, जिंदगी अनजान थी #मजहब #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqquotes #हिंदी_कोट्स_शायरी