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सोच रहा कुछ लिखने को शब्द नहीं मिल पा रहे ! क्या प

सोच रहा कुछ लिखने को शब्द नहीं मिल पा रहे !
क्या पता तुम से हमारा दिल ना मिल पा रहे !!
कवि का कलम दर्द की स्याही से भी कुछ ना लिख पा रहे !
कुछ ना लिख कर भी क्यों लग रहा हाले दिल सुना रहे !!

©Ravikesh Kumar Singh
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