हर रास्ते कि कोई तो मंजिल होती हैं । राग द्वेष का महल ना सही साफ सुथरी कुटिया तो होती हैं । महलों कीं रौनक दूर से ही अच्छी लगती है मेहनत कीं बनाई कुटिया भीतर से सुकून देती है ।। कुटिया