मछलियां इतराती है, पानी भी गुरूर करता है तुम यूं ही किसी भी तालाब में न नहाया करो टकरा जाते है वाहन आपस में रोज़ तुम यूं खिड़की पर आकर बाल न सुखाया करो मेरे ख़यालों में तुम सिर्फ मेरे हो 'मरहबा' तुम यूं हर किसी से मिलकर, दिल न दुखाया करो ये आप न 'आप' न कहा करो अब तुम मुझे 'तुम' बुलाया करो चिड़ जाता हैं देखो चाँद सितारों के बीच है तुम यूं छत पर आकर उसे बिल्कुल न रुलाया करो आहें भर भर देखते हैं मेरी नज़र नही किसी पर तुम यूं साड़ी में बिन पल्लू बाहर न आया करो जब रात में सो जाता है जग सारा बैरी तुम मुझसे मिलने प्रिये, चुपके से निकल आया करो मेरी कविता कैसी लगती है तुमको कभी तो 'दीपक' को बताया करो ©Deepak Goyal #datingthepoet #deepakgoyal #forher #Poetry #Shayari #ghazal #midnightthoughts #allalone