इन आँखों को मैं समन्दर बना के जी लूँगा, हर रात किसी तकिये को भिगा के जी लूँगा..!! ऐ बे-मेहर वफाएं तेरी सब मुबारक हों तुझे, मैं ख़्वाबों पे कहीं चादर बिछा के जी लूँगा..!! बिछड़ा है इस क़दर नहीं दिल मुब्तिला तुझमें, मैं होठों से किसी जाम को लगा के जी लूँगा..!! अब मशरूफियत में ऐसे ही मशरूफ रहो तुम, मैं सिगरेट समझकर खुदको जला के जी लूँगा..!! तेरी सोच में तुझसे बिछड़ना ही क़ज़ा है मेरी, बात यही है तो मैं खुद क़ज़ा बुला के जी लूँगा..!! हाँ मैंने उम्र भर हर्फों में तेरी तस्वीर उकेरी पर, मैं दिल की क़ब्र में हर्फों को दफना के जी लूँगा..!! "मतवाला" कभी भी तू मुझे अब याद न करना, मैं खुद के साथ भी रिश्ते को भुला के जी लूँगा..!! दोस्तों एक और नई पेशकश... आपकी नज़्र करता हूँ.. और...अब तुम्हारे हवाले ये #नज़्म साथियों...😁😁 समझदार हो...समझ तो गए ही होंगे..😋😋😋 #udquotes #udghazals #जी_लूँगा