शब-ए-इश्क में जब वो हद से गुजर गया होगा रंग-ए-हया से फिर रुख्सार निखर गया होगा जुल्फों के साये में कुछ वक़्त तो गुजरा होगा नज़रें मिलाके दो पल को वहीँ ठहर गया होगा सुर्ख़ लबों पे बोसों की बारिश जो हुई होगी मय का हर घूँट हलक में उतर गया होगा बाँहों के घेरे जब ता-कमर पहुँचे होंगे कैद में उनकी फिर महबूब बिखर गया होगा चाँदनी रात जो गुजरी होगी वस्ल की आगोश में सहर होते ही 'मौन' फिर जाने किधर गया होगा आज कई दिनों बाद कलम से इश्क़ निकला है जुड़ पायें तो सूचना दीजियेगा... #chandni #raat #vasl #amit #maun #yqbaba #yqdidi